Tuesday 14 June 2011

जनता से "कारी छिद्रा" कर लें भ्रष्टाचारी

खबर में पढ़ा के रूप घाटी के राजा जगत सिंह का ब्रह्म हत्या दोष शताब्दियों बाद "कारी छिद्रा" के चलते दूर हो गया है. उसी वक़्त एक जुगत बिजली की तरह दिमाग में कौंध गई के जनता और भ्रष्टाचारियों के बीच "कारी छिद्रा" की विधि अपना ली जाए. फिर अनशन से बाबा की जान के लाले नहीं पड़ेंगे और हमारे मनमोहक ईमानदार प्रधानमंत्री जी का कथित तौर पर डरा-सहमा दामन भी आरोपों के छीटों से बचा रहेगा.
दरअसल, राजा जगत सिंह और "कारी छिद्रा" के सम्बन्ध में रोचक जानकारी एक पत्रकार बन्धु की बदौलत नेशनल अखबार और उसके पाठकों को नसीब हुई. राजा जगत सिंह ने १६वीं  शताब्दी में  पंडित दुर्गादत्त नामक ब्राह्मण को आत्मदाह पर मजबूर कर दिया. क्यों, किसलिए में मत जाइये, यही समझ लीजिये जैसे आज का आम आदमी कभी-कभी मजबूर हो जाता है. हाँ, तो इसी के चलते जगत सिंह पर ब्रह्म हत्या का दोष आ गया. सदियों ये दोष चलता रहा. राजा और राजा के वंशज ब्राह्मण के गाँव में कदम नहीं रख सकते थे. लेकिन भला हो इस "कारी छिद्रा" का, जिसने इस पहाड़ी राजा और उसके वंशजों को ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त किया.
क्लीन स्वीप (ये क्रिकेटीय शब्द है और पूरे सफाए के लिए प्रयुक्त किया जाता है ) की इस अद्भुद विधा के जरिये भ्रष्टाचारी नेताओं और जनता के बीच का "वायदा दोष" आसानी से दूर किया जा सकता है.
अमां यार... जब ४००-५०० साल का ब्रह्म ह्त्या का दोष दूर हो गया तो, जनता-नेता-करप्शन के लव त्रिकोण को तो जुम्मा-जुम्मा कुछ दशक ही गुजरे हैं.. ये क्या बड़ी बात है.
मजे की बात ये की "कारी छिद्रा" के चलते अनशन के दीर्घसूत्रीय कार्यक्रम, सरकार और आन्दोलन के अगुवाओं के बीच घात-प्रतिघात, अभद्र संवादों, समितियों, बिलों, अध्यादेशों आदि के प्रस्तुतिकरण का खर्चा बच जाएगा.
और भी अच्छी बात ये के जिस जनता के लिए फिल्म "नूराकुश्ती" चल रही है, उसे शाइनिंग इंडिया में अब दर्शक की जगह मेन कैरेक्टर निभाने का मौक़ा मिलेगा. है ना कमाल का आइडिया.
अब आप सवाल पूछोगे के "कारी छिद्रा" क्या गरीबी, बेरोजगारी दूर कर देगी? विदर्भ और एमपी में मरने वाले किसानों को न्याय दिलाएगी? पास्को में स्टील मेगाप्लांट के लिए नजरबन्द ग्रामीणों से पुलिस और अधिकारी क्या व्यवहार करेंगे? लखीमपुर खीरी थाने में बच्ची की जान लेने वाले लोगों का क्या होगा? बलात्कार के बाद या फिर झूठी शान के लिए लड़कियां यूं ही टुकड़े-टुकड़े होती रहेंगी? ईमानदार पत्रकारों जिन्हें गोलियों से भूना गया या फिर उन अधिकारियों... जिन्हें जिन्दा जला दिया गया, उनके घरवालों को क्या सुकून मिलेगा? क्या गंगा बचाने के लिए जान देने वाले साधू को भी कोई याद रखेगा?
संवेदनशीलों के दिमाग में ऐसे ही ना जाने कितने सवाल उमड़ रहे होंगे.. इंडिया में ज्यादा सोचने पर सवाल ही ज्यादा खड़े होते हैं.. नतीजे और रस्ते नहीं.
अरे भैया "कारी छिद्रा" के जरिये अब तक के सारे गिले-शिकवे मिटा लिए जायेंगे. जनता के काँधे पर भी बड़ी जिम्मेदारी है... सरकार बनाने की. उस पर चुनावी सीजन में रोज-रोज का प्रेशर के अपने मताधिकार का सही उपयोग करें. अमां अभी कहाँ प्रयोग कर लें सही तरीके से. कारी छिद्रा की बदौलत कुछ खादी वाले तो दोषमुक्त नजर आयेंगे. जनता उन्हें चुन लेगी. अब जब "कारी छिद्रा" का आप्शन है, तो फिर करप्शन करने में क्या हर्ज है.. ५०-६० साल बाद फिर दोष मिटा लेंगे. अब ये मत कहिएगा के हमेशा ईमानदार रहने वालों की सरकार बनवाने का वादा करो तो "कारी छिद्रा" पर वार्ता आगे बढे!! 
अमां या... ईमानदार नेता क्या आसमान से टपकेंगे... जानते नहीं क्या "मेरा भारत और यहाँ की जनता महान". उसके लिए ही तो भारत में सारी राजनीति, आन्दोलन, और अनशन होते हैं.. वरना इन नेताओं के पास टैलेंट की कमी है क्या, जो राजनीति के मंच पर उतरते हैं बेचारे... जाकर "इंडियन आइडल" और "राखी के स्वयंवर"  जैसे मंचों को सुशोभित ना कर देते!!


3 comments:

  1. suder lekh lekin aapne ye to bataya hi nahi ki KAARI CHIDRAA kya bala hai?

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  2. bhai......................
    kya likhate ho yaaaaaaaaar
    wohhhhhhhhhhhhhh

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  3. mai myur ji ki bat se shmat hu apne is bala ka prayog to bhut kiya lekin jara sa spst karte to maja aur bad jata

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