वो नाजुक सी चाहत.. ख्यालों सी बातें
बड़ी बेसबर थीं वो बचपन की रातें
सूरज का खिड़की पे सुबह निकलना
वो खुशबू की खातिर.. फिर चुनना कांटे
वो तितली के पर पे रंगों का बिखरना
वो पलकों पे झिलमिल जुगनू सी यादें
वो ख्वाहिश के सागर.. वो सपनों की दुनिया
चलो फिर से मिलकर .. उन्हें आज बांटें