चलो
फिर सुबह तलाश की जाए
बड़ी
अंधेरी बस्ती है..उजास की जाए
परिंदे
अपने घौंसलों में चुपचाप से हैं
उड़ें
जो वो तो उनसे भी आस की जाए
है
लंबा रास्ता कुछ मुश्किलें भी आएंगी
कुछ
हम चलें कुछ फरियाद भी की जाए
जो डर
समेट रखा है दिलों में बरसों से
उसको
दिल छोड़ देने की मियाद दी जाए