Saturday 9 November 2013

तुम्हें यकीं नहीं अगर, कहां मुझ में भी वफा थी

तब ये इश्क नहीं, दो जवां दिलों की खता थी

भूल ना पाएंगे इक पल भी उम्र भर के लिए

बिछड़ते वक्त मगर बात ये दोनों को पता थी

(मलंग)

Tuesday 10 September 2013

भगवान का बेटा मरता है, अल्लाह की बेटी रोती है



हिंसा, नफरत की लपटों में
इंसान की बस्ती जलती है

भगवान का बेटा मरता है
अल्लाह की बेटी रोती है

जिन चौबारों पर रंग उड़े
अब खून की होली होती है

जिस छत पर देखा चांद कभी
वहां... अब कोई बेवा रोती है

Wednesday 5 June 2013

पीर बिछड़ने की मिट्टी से जो बिछड़ा उसने जानी



पीर बिछड़ने की मिट्टी से

जो बिछड़ा उसने जानी

सौंधी-सौंधी यादें महकें

जब आंख से बरसे पानी



मिट्टी में बापू के किस्से

गूंजे पीर फकीर की बानी

मिट्टी में मां दिखती मुझको

ओढ़े चूनर धानी...


जग घूमा सौदागर बनकर

बेचा सोना-चांदी...

मिलकर अपनी मिट्टी में

माटी की कीमत जानी

Tuesday 21 May 2013

वो खुशबू की खातिर.. फिर चुनना कांटे




वो नाजुक सी चाहत.. ख्यालों सी बातें
बड़ी बेसबर थीं वो बचपन की रातें

सूरज का खिड़की पे सुबह निकलना
वो खुशबू की खातिर.. फिर चुनना कांटे

वो तितली के पर पे रंगों का बिखरना
वो पलकों पे झिलमिल जुगनू सी यादें

वो ख्वाहिश के सागर.. वो सपनों की दुनिया
चलो फिर से मिलकर .. उन्हें आज बांटें

Monday 11 March 2013

उन रंगों को..उन यादों को



मिट्टी के चूल्हे पर पकती
उन कच्ची-पक्की बातों को

आंगन की मिट्टी पर पड़ती
सौंध-सौंधी बरसातों को

नुक्कड़ के कूएं पर बुझती
मेरी चुल्लू भर प्यासों को

उन सर्द ठिठुरती रातों में
सीने पर पड़ती थापों को

जी भरकर किस्से सुनते थे
जुगनू वाली उन रातों को

गिरने पर सहारा देते थे
लाठी पकड़े उन हाथों को

जाने कब और क्यों भूल गया..
मिट्टी से रिश्ते नातों को....

कैसे फिर से जिंदा कर दूं
उन रंगों को..उन यादों को


Friday 8 March 2013

सब कहते हैं उसको कान्हा




घर में आया एक सितारा
नाम है चुन्नू चेहरा प्यारा

आंखों में उसकी भरी शरारत
चेहरा एक मासूम इबारत

वो लगता है किसन कन्हैया
सबकुछ वारी नानी-मैय्या

मौसी की आंखों का तारा
मेरे दिल का टुकड़ा प्यारा

नाना की पकड़े है मूंछे
नानी की नथुनी को खींचे

पहले थी जो सबसे छोटी
गुड़िया उसके आगे रोती

है छोटा पर बड़ा सयाना
सब कहते हैं उसको कान्हा

मैं बुनता सपनों का ताना
चुन्नू मेरे घर भी आना

सब मिलकर गाएंगे गाना
नानी, मैय्या, मासी, नाना

Wednesday 6 March 2013

मुड़कर कहना, मिलते रहना


चुपके-चुपके गम को सहना
आंखे नम पर हंसते रहना

एक नहीं है मंजिल फिर भी
मुड़कर कहना, मिलते रहना

नींद अधूरे... ख्वाब अधूरे
ऐसी रातों का क्या कहना

सब मेरा दीवानापन है
फिर क्या खुद से लड़ते रहना

:)

Tuesday 5 February 2013

कभी मैं याद करता हूं... कभी वो याद आती है


न मेरे पास आती है.. न मुझसे दूर जाती है,
ये कैसी तेरी चाहत है जो मेरा दिल जलाती है

मजा लूं हुस्न का.. या सादगी पर मैं करूं सजदा,
कभी फूलों सी नाजुक.. और कभी बिजली गिराती है

हजारों रंग हैं... हर रंग उसका खूबसूरत है,
कभी दिल हारती है... और कभी दिल तोड़ जाती है

मैं हूं तन्हा.. मगर फिर भी जहन में कश्मकश सी है,
कभी मैं याद करता हूं... कभी वो याद आती है