ए जिन्दगी तेरी रजा क्या है
मुश्किलों में निखरती हो तुम वजह क्या है
तेरा हर रंग नई जंग का पैगाम बना
ये हर कदम पे आजमाने की अदा क्या है
किसी को तख्त और किसी को गुलिस्तां मिला
मैं कांटों में मुस्कराऊं तो खता क्या है
तू बहकती है दहकती है शरारों की तरह
आग से खेले गर आशिक़ तो फिर सजा क्या है
ये मोहब्बत है बच्चों का कोई खेल नहीं
जान पर जब तलक न आए तो फिर मजा क्या है
अलसाई ख्वाहिशें अब ले रहीं अंगड़ाई है...
चलो 'मलंग' क्यों रुके हो अब माजरा क्या है