Tuesday 20 December 2011

मेरे शहर


कज़ा के  शोर में भी तू पुकारता है मुझे
मेरे शहर तू भीड़ में कहीं नजर आ जा

यहाँ फरेब की चमक है देखता हूँ जिसे
तू जुगनुओं सा सही आज की सहर आ जा

तमाम उम्र हकीकत की धूप में है कटी
ये रात आखिरी है ख्वाब सा मगर आ जा

मेरे शहर तू भीड़ में कहीं नजर आ जा

Thursday 8 December 2011

तोता मेरे तोता .......



तोता मेरे तोता अभी छोटा है तू
जिद क्यों मचाये अब रोता है क्यूँ
तोता मेरे तोता .......
घर सर पे उठाए कभी हाथ न आए
दादी का नटखट बिलौटा है तू
तोता मेरे तोता .......
घूमे इतराए.. नए रूप बनाये
किलकारी का आँगन में बूटा है तू 
तोता मेरे तोता .......
नैनो को भाए, काला टीका लगाए
गोदी में आ जा अब रूठा है क्यूँ 
तोता मेरे तोता .......