Wednesday 5 June 2013

पीर बिछड़ने की मिट्टी से जो बिछड़ा उसने जानी



पीर बिछड़ने की मिट्टी से

जो बिछड़ा उसने जानी

सौंधी-सौंधी यादें महकें

जब आंख से बरसे पानी



मिट्टी में बापू के किस्से

गूंजे पीर फकीर की बानी

मिट्टी में मां दिखती मुझको

ओढ़े चूनर धानी...


जग घूमा सौदागर बनकर

बेचा सोना-चांदी...

मिलकर अपनी मिट्टी में

माटी की कीमत जानी