चलो इसकी आज तहकीकात की जाए
किसी भूखे से भी वतन पे बात की जाए
किसी शहीद की बेवा से ये सवाल करो
तेरे सिन्दूर की कीमत.. क्या अदा की जाए
पूछो दहशत में दौड़ते किसी बाशिंदे से
क्या वजह है जो हिफाजत तेरी करी जाए
जब हो गए गुलाम हम फरेब-झूठ के
बस नाम की आजादी किस के नाम की जाए