क्या करूं बात के बातों में अब वो बात नहीं
बहुत कुछ कहना था पर.. अब सही हालात नहीं
तुम भी आजाद अब, मैं भी सफर पे निकला हूं
ये कमी और के .. हाथों में तेरा हाथ नहीं
ख़ैर तुम क्यों हो परेशां... मैं भी क्यों फ़िक्र
करूं
जाने दो दिल की हैं बातें... इनमें कुछ ख़ास नहीं