(painting author: Jacob Smit) |
वो आज भी बिजली से... घबराती होगी
देख आईने में सूरत अपनी .. शर्माती होगी
लेके अल्हड़ सी अंगड़ाई .. बहक जाती होगी
कभी काली घनी जुल्फों में उलझ जाती होगी
उसकी बेबाक आदाओं से किसे प्यार नहीं
हर नजर उस पे जाके ठहर सी जाती होगी
देख के फिर किसी आशिक को बदहाल जिगर
अपनी क़ातिल अदा पे .. रोज इतराती होगी