हमें भी बंदगी नसीब हो तेरे जैसी,
तुझे भी अपनी चाहतों का सिला मिल जाए
न मैं रहूँ तनहा और न तू बने काफिर
मुझे सनम, तुझे भी अपना खुदा मिल जाए
मुझे भी है तलाश.. तू बेकरार बरसों से
तुझे सुकूँ.. मुझे भी अपने निशां मिल जाएं
मिले न बस मेरी नज़र... तेरी नज़र से कभी
मैं चाहता नहीं बसा शहर... उजड़ जाए
kya bat hai bhai
ReplyDeleteमिले न बस मेरी नज़र... तेरी नज़र से कभी
मैं चाहता नहीं बसा शहर... उजड़ जाए