malang.rohitashwa
कलम सदा सौदामिनी दमके आखर नाद मृदंग, रे 'मलंग' लेखनि हो जैसे उच्छल जलधि तरंग
Tuesday, 18 October 2011
जब ढूंढते थे मैं को तो मुलाकात हम से हुई
कभी इश्क की तलब थी, पूरी मुराद ग़म से हुई
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment