उस आशियां के बाद कब्रिस्तान बंट गया
यूं धूप पर लकीरें रोज खींचते हैं लोग
के सबका अपना-अपना आसमान बंट गया
खुदगर्ज जमाने की अब क्या कहिये दास्तान
गली बंटी, कूंचा बंटा.....हर इंसान बंट गया
यूं फेर लीं आँखें धरम से, दीन से.. हमने
बंट गए मां-बाप और भगवान बंट गया
क्या दौलतें ले के कफ़न में साथ जाएंगे
उस आशियां के बाद कब्रिस्तान बंट गया
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