Tuesday 15 November 2011

वरना करवाने इबादत सनम सारे आ गए




रंज में जो तेरी तस्वीर मिटाने मैं चला 
हया हुस्न और अदा.. मेरे आड़े आ गए 

जरा सा मुस्कुराया मैं तेरे जाने के बाद 
मेरा गम और बढ़ने जखम सारे आ गए 

बेखबर होने को हमने जरा सी मांगी शराब 
मुझको पी जाने की खातिर जहर सारे आ गए 

वफ़ा पे जिनकी हमें नाज था जमाने से 
मेरी हस्ती को मिटाने सनम सारे आ गए 

ये तो अच्छा हुआ मलंग बस आशिक निकले 
वरना करवाने इबादत.. खुदा सारे आ गए 

1 comment: