कभी यूं भी हमसे रूबरू कलाम करो
बैठो ठहर के पहलू में आज शाम करो
बहकता नहीं मैं ये असर नजर का है
अब बेवजह न तुम मुझे बदनाम करो
न मैं काबिल हूँ न साकी है मेहरबां मुझपे
खोल दो जुल्फ बारिशों को आज जाम करो
चलो बहुत हुआ मुझे ये समझाने का दौर
जाते हो जाओ मगर आखिरी सलाम करो
nice bhai
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