Sunday 13 November 2011

ये राह कह न पाए ..तुम भी बेवफा निकले


बेसबब फिरते हैं हम कोई वजह नहीं 
ये आवारगी ही किसी काम की निकले 

यूं तो शहर पराया है अपना नहीं मलंग 
रुके हैं राह में कोई पहचान का निकले 

दौलतें गर लुट गयीं मुझको फिकर नहीं  
निकले तो कारवां ये जरा शान से निकले 

मंजिल मेरा मकसद नहीं चलना पसंद है
ये राह कह न पाए ..तुम भी बेवफा निकले 



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