Tuesday 10 July 2012

प्याले में थोड़ी शराब थी, कुछ ग़म था.. वो भी मिला दिया


यूँ ही बैठे बैठे खबर हुई.. जो मेरा था आज रहा नहीं
रौशनी का चिराग था.. एक झोंके ने उसको बुझा दिया

ये पता था के ताउम्र अब नजरें नहीं टकराएंगी
एक अश्क का सैलाब था.. उसे बारिशों ने छिपा दिया

नींदों में आने लगे थे जो वो ख्वाब भी थे जुदा जुदा 
पलंग पे तेरा लिहाफ था.. मैंने जागने पे जला दिया 

कसक उठी जिगर में यूँ.. के धडकनों पे असर हुआ 
प्याले में थोड़ी  शराब थी, कुछ ग़म था.. वो भी मिला दिया 

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