सुनो कि आज कुछ कहने को दिल चाहता है
ठहरा हुआ था कहीं... बहने को दिल चाहता है
ये बात ठीक नहीं तुम दूर मुझे देखा करो
आज तेरे पहलू में रहने को दिल चाहता है
ये रोज रोज इस बाजार में बिकते अरमान
अब तो खरीदार होने को दिल चाहता है
चले भी आओ के जरा सी जान बाकी है
फिर तुझ पे फ़ना होने को दिल चाहता है
kaha do na kahenge to chup to hoge nahi
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