Wednesday 6 March 2013

मुड़कर कहना, मिलते रहना


चुपके-चुपके गम को सहना
आंखे नम पर हंसते रहना

एक नहीं है मंजिल फिर भी
मुड़कर कहना, मिलते रहना

नींद अधूरे... ख्वाब अधूरे
ऐसी रातों का क्या कहना

सब मेरा दीवानापन है
फिर क्या खुद से लड़ते रहना

:)

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