Wednesday 3 August 2011

रंग बरसाए मोरा साजन......

रंग बरसाए मोरा सजना, अंखियन आवे मोरी लाज न.
मले गुलाल चिकोटी कटे, फिर तन लागे क्यों आग न.
रंग बरसाए मोरा साजना ......

बैरी पवन मोरा अंचल खींचे, पिया हरजाई आवे बाज न.
सुबह शाम मोहे मथ-मथ डाले..रच-बस जाए हर सांस मा.
रंग बरसाए मोरा साजना.....

भरे तरंग बदन में मोरे... मैं लुट जाऊं पी के साथ मा
अंग-अंग मोरे साजन दमके.. घोरे रस आवाज मा
रंग बरसाए मोरा साजना ......

मोरे बदन से जोबन टपके, पिया... ताके पियासा बरसात मा
फिरे मलंग जब जी भर जाए...फिर तरसाए दिन रात मा
तब हाथ ना आवे मोरा साजना ...... फिरे विहग आकाश मा
बैराग कराये मोरा साजना, रंग बरसाए मोरा साजना ......




2 comments:

  1. Janab lagta aap aapko Holi ke beete huye sunhare lamhe yaad aa rahe hain... Acchi Yaaden hamesha yaad aate he hain par mere bhai ab Holi main woh Purani waali baat nahi rahe. ab toh holi naam matr ke holi rah gaye hai... chaliyee aap un yaadeon main khoye raheyee

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  2. sir g aapki ye 'AUGUST KI PAHALI BUND' mast he ... ise dekhakar lagta he ki aap AUGUST me sabhi ko bhigane ke mood me ho...

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