Wednesday 12 March 2014


 
शुरुआती दिनों के सहकर्मी मंसूर भाई के कार्टून संकलन का पहला बाउंसर झेला.. जो महसूस हुआ वो अपने अंदाज में बयां कर रहा हूं.. (मलंग)

बाउंसर आई बल्ला गिर गया, हुआ खिलाड़ी ढेर
आड़ी तिरछी रेखाओं में उलझे सारे 'शेर'

बब्बर शेर दहाड़े और जनता चिंघाड़े
सच्चाई की स्याही में रंगते वादे नारे

गांधी टोपी.. खद्दर कुर्ता आज बने कार्टून
सबकी खींची टांग जिन्होंने चूसा खून

नेता संत क्रिकेटर की है खूब उड़ाई खिल्ली
दूसरा 'बाउंसर' डालो भैय्या और बिखराओ गिल्ली

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