Friday 21 February 2014

छुट्टियों पे गयी थीं , ये मुस्कुराहटें अभी अभी लौटी हैं
हैरान हो जिंदगी से पूछती हैं, बताओ मुश्कलें क्या होती हैं
सपने बड़े संजोये हैं मैंने ... रातें मेरी अब छोटी हैं
मिली जवानी तो मुहब्बत भी मिलेगी एक दिन
ख्वाहिशें बचपन की कुंवारी होती हैं

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