Wednesday, 25 January 2012

किसी भूखे से भी वतन पे राय ली जाए


चलो इसकी आज तहकीकात की जाए
किसी भूखे से भी वतन पे बात की जाए

किसी शहीद की बेवा से ये सवाल करो
तेरे सिन्दूर की कीमत.. क्या अदा की जाए

पूछो दहशत में दौड़ते किसी बाशिंदे से
क्या वजह है जो हिफाजत तेरी करी जाए

जब हो गए गुलाम हम फरेब-झूठ के
बस नाम की आजादी किस के नाम की जाए









Monday, 16 January 2012

मिलता है जहाँ सुकून.. वो घर अपना ना मिला


रात भर जागता रहा यूँ ही
मेरी आँखों को आज फिर कोई सपना न मिला

बिखर गए जो थे मेरे सभी रिश्ते नाते..
अलविदा कहने की खातिर कोई अपना ना मिला

थी मुझको भी जरूरत किसी पैगम्बर की
जाते-जाते करूं सजदा करम इतना ना मिला

दर-बदर फिरता हूँ गलियों में बन के बेगाना
है मिलता जहाँ सुकून.. वो घर अपना ना मिला








Friday, 13 January 2012

फिर तुझ पे फ़ना होने को दिल चाहता है



सुनो कि आज कुछ कहने को दिल चाहता है 
ठहरा हुआ था कहीं... बहने को दिल चाहता है 

ये बात ठीक नहीं तुम दूर मुझे देखा करो   
आज तेरे पहलू में रहने को दिल चाहता है 

ये रोज रोज इस बाजार में बिकते अरमान   
अब तो खरीदार होने को दिल चाहता है 

चले भी आओ के जरा सी जान बाकी है 
फिर तुझ पे फ़ना होने को दिल चाहता है